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अपना परिवार

अपना परिवार


दीपक अत्यंत प्रतिष्ठित परिवार में जन्मा इकलौता पुत्र था जो अपने माता-पिता का लाडला था। दिन-रात वह अपने माता-पिता को खूब परेशान करता था।
 दीपक उस दिन अत्यंत उत्साहित था क्योंकि उसका जन्मदिन था और उसके माता-पिता ने कुछ सरप्राइज की योजना बनाई थी। माता -पिता दीपक के लिए उपहार, केक आदि लेकर ऑफिस से लौट रहे थे, अचानक उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और दुर्घटना के कारण दोनों की मृत्यु हो गयी। दीपक अब अनाथ हो चुका था और जो करीबी रिश्तेदार थे, उन्होंने सोचा ज़िंदगी भर कौन उस बोझ को उठाए। आखिर में सबकी सलाह पर दीपक को अनाथाश्रम भेज दिया गया।
उसकी ज़िंदगी में अब उदासी और मायूसी शेष रह गयी थी।
   कुछ दिनों पश्चात एक दम्पति वहाँ अनाथ बच्चों के लिए बहुत सारे उपहार लेकर आए। सारे बच्चे बहुत खुश थे किंतु दीपक ने कोई उपहार नहीं लिया और एक कोने में उदास बैठा रहा। दंपति को जब दीपक की मायूसी का कारण पता चला तो उन्हें उस पर बहुत प्यार आया। वे उसको अपने घर ले आए उनके पास कोई औलाद नहीं थी। मैंने दीपक को प्यार से पाला-पोसा और पढ़ा-लिखा कर एक अच्छा इंसान बनाया। दीपक ना जाने क्यों उन्हें अपने माता-पिता के समान प्यार ना कर सका क्योंकि उसे लगता था कि उन्होंने अपने बुढ़ापे का सहारा बनाने के लिए उसे पढ़ाया-लिखाया है। धीरे-धीरे वह बड़ा हो रहा था। उसको लग रहा था कि जब मैं बड़ा हो जाऊँगा तो ये लोग मेरी कमाई पर आश्रित होकर जीवन भर मुझे नौकरों की तरह रखेंगे। अतः नौकरी लगते ही वह अपना घर छोड़कर दूसरे शहर चला गया। उसके माँ-बाप ने उसको बहुत समझाया पर वह नहीं माना। सालों बाद जब उसकी कमाई बहुत अच्छी हो गई और उसके अनेक दोस्त भी बन गए तो वह वहाँ बहुत खुशी-खुशी रहता था। अचानक एक दिन उसका भयंकर एक्सीडेंट हो गया और वह छः महीने तक उठ भी नहीं सकता था। उसके सभी दोस्तों ने उसकी हालत देखकर किनारा कर लिया। जब उसके माँ-बाप को पता चला तो वह भागे-दौड़े उसके पास आ गए और उसको घर ले गए। माता-पिता ने उसकी दिन-रात सेवा की और साथ में सारे खर्चे भी उठाए। जब उसने कहा कि आप मेरे अकाउंट से पैसे ले लीजिए तो उन्होंने कहा, " बेटा, सब कुछ तुम्हारा ही है। अभी हमारे हाथ-पैरों में इतनी ताकत है कि सालो-साल तक हम तुम्हें कोई कमी नहीं होने देंगे। आज दीपक को अपनी गलती का अहसास हो गया। वह अपनी सोच पर अत्यंत शर्मिंदा था। उसे समझ आ गया था कि वही उसका असली परिवार है। वह अपने माता-पिता के गले लग गया और खूब रोया।

 नंदगोपाल गोयल

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16 Comments

Shrishti pandey

13-Mar-2022 11:53 PM

Verynice

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Nand Gopal Goyal

14-Mar-2022 09:14 PM

धन्यवाद

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Seema Priyadarshini sahay

13-Mar-2022 05:23 PM

वाह बहुत खूबसूरत

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Nand Gopal Goyal

13-Mar-2022 09:29 PM

बहुत-बहुत धन्यवाद सीमा जी

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Gunjan Kamal

13-Mar-2022 03:23 PM

बहुत खूब

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Nand Gopal Goyal

13-Mar-2022 09:29 PM

Thank you Gunjan ji

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